मैं हूँ मुशताक़-ए-जफा मुझ पर जफा और सही
तुम हो बेदाद से खुश इस से सिवा और सही
[मुशताक़-ए-जफा = keenly oppressed, जफा = oppression (v.), बेदाद = oppression (n.)]
हुस्न में हूर से बढकर नहीं होने के कभी
आपका शेवा-ओ-अन्दाज़ो अदा और सही
[हूर = Virgin of Paradise, शेवा-ओ-अन्दाज़ो अदा = your style (way?) of beauty]
तेरे कूचे का है माईल दिल मुज़्तर मेरा
काबा इक और सही किब्लानुमां और सही
[कूचे = lane, माईल = obliged, मुज़्तर = restless, काबा = house of Allah in Mecca, किब्लानुमां = direction for prayer]
क्यों ना फिरदोस मैं दोज़ख को मिल लें या रब
सैर के वासते थोड़ी सी फज़ा और सही
[फिरदोस = heaven, दोज़ख = hell, फज़ा = environment/atmosphere]
मुझको वो दो के जिसे खाके ना पानी मांगू
ज़ेहर कुछ और सही आबेबका और सही
[आबेबका = nectar (?)]
In case you were wondering, I don't provide an interpretation because I believe doing so is error prone, and more importantly, limiting. Poetry in general and Ghalib's poetry in particular is supernatural in the sense that state of mind affects the interpretation and out-of-context (for an other) often sounds ridiculous. That said, I'd love to find one to discuss interpretations of Ghalib's masterpieces!
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